रोज की तरह आज भी कचहरी में भीड़ थी। एक आदमी काफी देर से चुपचाप वकील साहब के चेम्बर के सामने दूर खड़ा इधर ही देख रहा था।

मैंने पूछा -“कोई काम है क्या ?”
वो आगे बढ़ का बोला -” एक दरख्वास्त लिखवानी थी।”

-“किस बाबत ?”

-“पिताजी को शराब की लत है।”

-“तो समझाइये उन्हें, उनको दरख्वास्त देने की क्या जरूरत है ।”

-“नहीं ये बात नहीं है। दरअसल उनकी उम्र ज्यादा हो चुकी है। तकरीबन 80 के तो होंगे ही ।”

-“तो ?”

-“तो जब पीकर उधर से आते हैं, साइकिल समेत रास्ते में गिर जाते हैं। हम लोगों को बहुत मुश्किल से ढूंढ कर लाना पड़ता है।”

-“तो उन्हें समझाइये भाई, मत पिया करें शराब।”

-“इससे कुछ फायदा नहीं होगा, आप बस दरख्वास्त लिखवा दीजिये ।”

-“किसको लिखना है ?”

-“मुख्यमंत्री और आबकारी विभाग को ।”

-“क्या लिखवा दूं ?”

-“यही कि ठेका दूर होने की वजह से मेरे पिता जैसे सैकड़ों लोगों को यहाँ से तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। ऐसे में कई बुजुर्ग रास्ते में गिर पड़ जाते हैं, चोट लगती है सो अलग। अगर गाँव में ठेका रहेगा तो ये परेशानी तो नहीं उठानी पड़ेगी।”

मैंने देखा कि उस व्यक्ति की बात सुन उसके बगल में खड़े एक बुजुर्ग की आँखें भर आयीं थीं और वहीं फफक कर बोल पड़े –
“वाह ! बेटा हो तो ऐसा !
एक दुष्ट मेरा बेटा है, मैं दारू पीने न जा सकूँ इसलिए साले ने मेरी साइकिल ही बेच दी।

खैर हमारे जुआ/सट्टा तो बैन है मगर स्किल्ड गेमिंग के नाम पर क्रिकेट बेटिंग और ताश पत्ती जुआ ऑनलाइन रमी/तीन पत्ती की वेबसाइट लीगल रूप से धड़ल्ले से चल रही है वही असली स्किल्ड इस्पोर्ट्स खेलने के लिए कुछ लोगों को अपनी ही परिस्थिति और अपने ही लोगों से स्ट्रगल करना पड़ रहा है
कुछ लोगों को देखता हूं तो वो दरखास्त लिखवाने वाला बेटा ध्यान में आता है कि यहां ये अलग ही दरखास्त लिखवाने घूम रहे। यहीं कुछ लोगो की देखता हूं तो वो बाप ध्यान में आ जाता है जिसकी रोज रोज नाली में गिरने के बाद भी आदत न छूट रही है।

जहां जूआ(क्रिकेट बैटिंग वेबसाइट और ताश पत्ती जुआ वेबसाइट) से कोई समस्या ही नहीं है, पर असली ई-स्पोर्ट्स से सबको एलर्जी है उस देश के लोगो का भविष्य क्या ही होगा ??